जानिए इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व
सनातन धर्म में हवन करवाने की परंपरा बहुत पहले से चली आ रही है। हमारे ऋषि-मुनि प्राचीन समय से ही यज्ञ-हवन करते चले आए हैं। आज के समय में भी कोई भी अनुष्ठान हो तो हवन अवश्य करवाया जाता है। चाहे कोई मन्नत हो या फिर विशेष पूजा अनुष्ठान हवन अवश्य करवाया जाता है। हिंदू धर्म में विवाह जैसा शुभ बंधन संस्कार भी हवन की अग्नि के फेरे लेने पर ही पूर्ण माना जाता है। हवन में कई तरह की सामाग्री का प्रयोग किया जाता है और मंत्रोच्चार करते हुए हवन किया जाता है। जिससे पूरे वातावरण में सकारात्मकता का प्रवाह होता है। हवन करवाने का न केवल धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी माना जाता है। तो चलिए जानते हैं इस बारे में।
वैज्ञानिक महत्व
राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान (NBR) संस्थान द्वारा किए गए एक शोध में पता चला है कि यज्ञ और हवन के दौरान उठने वाले धुएं से वायु में मौजूद हानिकारक जीवाणु 94 प्रतिशत तक नष्ट हो जाते हैं। साथ ही इसके धुएं से वातावरण शुद्ध होता है और इससे बीमारी फैलने की आशंका काफी हद तक कम हो जाती है।
हवन सामग्री में आम की लकड़ी, बेल, नीम, कलींगज, पीपल की छाल, पलाश का पौधा, देवदार की जड़, बेर, कपूर, शकर जौ, चावल, चंदन की लकड़ी देशी घी आदि अलग-अलग कई सामाग्रियों का प्रयोग किया जाता है। हवन की अग्नि में जब आहुति डाली जाती है तो उससे निकलने वाले धुएं से पूरा वातावरण शुद्ध हो जाता है साथ ही मंत्रोच्चार होने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।